राष्ट्र आज गर्व के साथ भारतीय वायु सेना की 93वीं वर्षगांठ मना रहा है। 8 अक्टूबर 1932 को स्थापित भारतीय वायु सेना (IAF) ने देश की रक्षा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा है। यह वह शक्ति है जिसने आसमान में भारत की संप्रभुता को कायम रखते हुए हर चुनौती का डटकर सामना किया।
वीरता और अनुशासन की परंपरा
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सभी वायु सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि वायु सेना ने राष्ट्र की सेवा में जो अनुकरणीय साहस, समर्पण और उत्कृष्टता दिखाई है, वह हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत है।
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर आज प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शहीद वीरों को नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
एयर चीफ का संदेश — “यह दिन हमारे वीरों को समर्पित है”
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने वीडियो संदेश के माध्यम से राष्ट्र को बधाई देते हुए कहा कि “वायु सेना दिवस उन वीरों को समर्पित है जिन्होंने अपने बलिदान, समर्पण और व्यावसायिकता से हमारे राष्ट्र के आकाश की रक्षा की है।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारतीय वायु सेना निरंतर ‘सशक्त, सजग और सुसज्जित’ है — ताकि देश के सीमांतों और आकाश की सुरक्षा हर परिस्थिति में बनी रहे।
गौरव और आधुनिकता का संगम
पिछले नौ दशकों में वायु सेना ने न केवल युद्धक्षेत्र में बल्कि मानवता के मोर्चे पर भी अतुलनीय योगदान दिया है — चाहे 1947, 1965, 1971 या कारगिल युद्ध हो, या फिर आपदा राहत और बचाव कार्य।
आज वायु सेना आधुनिक तकनीक, राफेल और तेजस जैसे अत्याधुनिक विमानों, और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों से सुसज्जित है। आने वाले वर्षों में भारत की वायु शक्ति “आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प के अनुरूप और भी मजबूत होती जाएगी।
निष्कर्ष
93वां वायु सेना दिवस केवल उत्सव नहीं — यह साहस, अनुशासन और समर्पण की वह कहानी है जो हर भारतीय के हृदय में गर्व और प्रेरणा का संचार करती है।
भारत के नीले आकाश में तिरंगे की शान के साथ उड़ती हर स्क्वाड्रन यह संदेश देती है —
“नीले गगन के प्रहरी, राष्ट्र की शान — जय हिन्द!”
