इसरो की ऐतिहासिक उपलब्धि: चंद्रयान-2 ने पहली बार देखा सूरज की आग का असर चाँद पर!

भारत के अंतरिक्ष अभियान की गौरवगाथा में एक और चमकदार अध्याय जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने घोषणा की है कि चंद्रयान-2 मिशन ने सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (CME) — यानी सूरज की गरम प्लाज्मा की विस्फोटक लहर — के चाँद के वातावरण पर प्रभाव का पहली बार सफल अवलोकन किया है।

यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशन और आवास निर्माण के लिए भी अहम साबित हो सकती है।


 क्या है कोरोनल मास इजेक्शन (CME)?

CME दरअसल सूर्य की सतह से निकलने वाले अत्यधिक ऊर्जा-युक्त गैस और प्लाज्मा के बादल होते हैं, जो अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। जब यह लहर पृथ्वी या चंद्रमा जैसी खगोलीय पिंडों से टकराती है, तो यह उनके वायुमंडलीय और चुंबकीय ढांचे को प्रभावित कर सकती है।


 चंद्रयान-2 का “CHASE-2” उपकरण बना अंतरिक्ष मौसम का साक्षी

22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित चंद्रयान-2 में आठ वैज्ञानिक उपकरण लगे थे। इनमें से एक, चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशनल एक्सप्लोरर-2 (CHASE-2), चंद्रमा के पतले वायुमंडल यानी बहिर्मंडल (Exosphere) की संरचना और उसमें होने वाले बदलावों का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है।

10 मई 2024 को हुई एक दुर्लभ सौर घटना के दौरान, सूर्य से निकले CME ने चंद्रमा को प्रभावित किया। CHASE-2 ने पाया कि इस प्रभाव से चंद्रमा के बहिर्मंडल का कुल दबाव और न्यूट्रल परमाणुओं का घनत्व कई गुना बढ़ गया — यह वही बात थी जिसकी वैज्ञानिक वर्षों से केवल सैद्धांतिक भविष्यवाणी कर रहे थे।


 क्यों है यह खोज इतनी अहम?

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अवलोकन न केवल चंद्रमा के वातावरण और अंतरिक्ष मौसम की पारस्परिक क्रियाओं को समझने में मदद करेगा, बल्कि आने वाले लूनर बेस और मानव मिशनों की सुरक्षा डिजाइन में भी मार्गदर्शक साबित होगा।

यह अध्ययन 16 अगस्त 2024 को प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल Geophysical Research Letters में प्रकाशित हुआ, जिसका शीर्षक है —
“Impact of a Coronal Mass Ejection on the Lunar Exosphere Observed by CHACE-2 on Chandrayaan-2 Orbiter”


 भारत की वैज्ञानिक दृष्टि का नया क्षितिज

चंद्रयान-2 भले ही अपनी लैंडिंग में सफल न हो पाया हो, लेकिन उसका ऑर्बिटर आज भी चाँद के चारों ओर घूमते हुए अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर कर रहा है।
यह खोज इस बात का प्रमाण है कि इसरो न केवल तकनीकी रूप से दुनिया की अग्रणी संस्थाओं में से एक है, बल्कि ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की दिशा में भी भारत लगातार आगे बढ़ रहा है।


 निष्कर्ष:
चंद्रयान-2 के इस अवलोकन ने यह दिखा दिया कि सूरज की आग अब चाँद तक पहुँची है — और भारत ने उसे सबसे पहले महसूस किया!

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *