बिहारवासियों के लिए शनिवार का दिन बेहद खास रहा। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ मिलकर सात नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इनमें तीन अमृत भारत एक्सप्रेस और चार पैसेंजर ट्रेनें शामिल हैं, जो बिहार की कनेक्टिविटी को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देंगी।
अमृत भारत एक्सप्रेस: बिहार की नई पहचान
- दरभंगा–अजमेर (मदार)
- मुजफ्फरपुर–हैदराबाद (चरलापल्ली)
- छपरा–दिल्ली (आनंद विहार टर्मिनल)
इन नई सेवाओं के साथ अब देश में चलने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या 30 हो गई है, जिनमें से 26 सेवाएं बिहार से संचालित होंगी। ये ट्रेनें सेमी-ऑटोमैटिक कपलर, अग्नि सूचक प्रणाली और सीलबंद गैंगवे जैसी उन्नत सुविधाओं से लैस हैं। गैर-एसी डिब्बों में भी उच्च स्तरीय तकनीक का यह पहला उदाहरण है।
चार पैसेंजर ट्रेनें: स्थानीय कनेक्टिविटी को नई रफ्तार
बिहार के यात्रियों की रोजमर्रा की जरूरतों को देखते हुए इन नई पैसेंजर सेवाओं की भी शुरुआत की गई:
- पटना–बक्सर
- झाझा–दानापुर
- नवादा–पटना
- पटना–इस्लामपुर
ये ट्रेनें छोटे-बड़े शहरों को तेज़ और सुलभ रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।
रेलवे में ऐतिहासिक निवेश
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बिहार का वार्षिक रेल बजट 2014 के 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 10,000 करोड़ रुपये हो चुका है। राज्य में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं जारी हैं।
- 2014 के बाद से 21 बड़ी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनमें पटना और मुंगेर रेल-सह-सड़क पुल और बहुप्रतीक्षित कोसी पुल प्रमुख हैं।
- पूरे राज्य का रेलवे नेटवर्क पूरी तरह विद्युतीकृत हो चुका है और 1,899 किलोमीटर नई पटरियां बिछाई गई हैं।
बिहार में चल रही और पूरी परियोजनाएं
नई लाइनें, गेज परिवर्तन, दोहरीकरण, तीसरी और चौथी लाइन का काम—बिहार में रेल विकास की रफ्तार तेज़ है।
- नई लाइनें: दनियावां-बिहारशरीफ, चांदन-बांका, राजगीर-तिलैया, अररिया-गलगलिया (जल्द उद्घाटन)
- दोहरीकरण: साहिबगंज-पीरपैंती, किउल-गया, हाजीपुर-रामदयालु नगर और कई अन्य प्रमुख रूट।
विकसित बिहार की ओर
अमृत भारत एक्सप्रेस और नई पैसेंजर सेवाएं केवल नई ट्रेनें नहीं, बल्कि आधुनिक, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का वादा हैं। ये बिहार को दिल्ली, राजस्थान, तेलंगाना और दक्षिण भारत से और मजबूती से जोड़ेंगी, साथ ही पर्यटन, व्यापार और रोजगार में नई संभावनाओं के द्वार खोलेंगी।
बिहार के लिए यह कदम केवल कनेक्टिविटी का विस्तार नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास की नई पटरी है, जिस पर सवार होकर राज्य स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
