भारत में रोजगार के मोर्चे पर बड़ी सफलता देखने को मिली है। सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 से 2023-24 के बीच देश में करीब 17 करोड़ नई नौकरियां (16.83 करोड़) जुड़ी हैं। यह ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत विजन के अनुरूप है और यह दिखाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब केवल तेज़ी से नहीं, बल्कि समावेशी रूप से भी आगे बढ़ रही है।
📊 रोजगार में बूम और बेरोजगारी में रिकॉर्ड गिरावट
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रोजगार: 2017-18 में 47.5 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 64.33 करोड़
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बेरोजगारी दर: 6.0% से घटकर 3.2%
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महिला रोजगार: पिछले 7 सालों में 1.56 करोड़ महिलाओं ने औपचारिक कार्यबल में प्रवेश किया
सरकार के अनुसार, भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है जो आने वाले वर्षों में वैश्विक कार्यबल का दो-तिहाई हिस्सा देंगे। (विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट, 2025)
💼 भारत की कार्यशक्ति का नया चेहरा
Periodic Labour Force Survey (PLFS) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़:
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Labour Force Participation Rate (LFPR) जून 2025 में 54.2% से बढ़कर अगस्त में 55% हुआ।
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Worker Population Ratio (WPR) 51.2% से बढ़कर 52.2% हुआ।
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2017-18 की तुलना में महिला LFPR 23.3% से बढ़कर 41.7% और महिला WPR 22% से बढ़कर 40.3% हो गया है।
🧑🏭 औपचारिक रोजगार में तेजी
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EPFO में रिकॉर्ड बढ़ोतरी: 2024–25 में 1.29 करोड़ नए सदस्य जुड़े, जो 2018–19 की तुलना में दोगुने हैं।
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सितंबर 2017 से अब तक कुल 7.73 करोड़ नेट सब्सक्राइबर्स जुड़े हैं।
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जुलाई 2025 में 21.04 लाख नए लोग EPFO से जुड़े, जिनमें 60% युवा (18–25 आयु वर्ग) थे।
यह दर्शाता है कि भारत में रोजगार का औपचारिकरण तेजी से बढ़ रहा है और सोशल सिक्योरिटी कवरेज मजबूत हो रहा है।
💰 मजदूरों और सैलरीड वर्ग की आय में इज़ाफा
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कैजुअल मजदूरों की औसत दैनिक मजदूरी: ₹294 (2017) → ₹433 (2024)
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सैलरीड कर्मचारियों की मासिक आय: ₹16,538 → ₹21,103
यह आंकड़े बताते हैं कि भारत में न केवल रोजगार बढ़ा है, बल्कि आय और जीवनस्तर भी सुधरा है।
👩💻 महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: ‘लखपति दीदी’ से ‘ड्रोन दीदी’ तक
सरकार ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं —
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नमो ड्रोन दीदी: महिलाओं को ड्रोन सेवा से जोड़ा गया, जिससे हर साल ₹1 लाख तक की अतिरिक्त आय।
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लखपति दीदी योजना: अब तक 2 करोड़ महिलाएँ लखपति दीदी बन चुकी हैं।
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मिशन शक्ति, क्रांति सखी, बैंक सखी, पशु सखी जैसी योजनाओं से महिला रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिला है।
⚙️ नए युग के रोजगार: स्टार्टअप्स, गिग इकॉनमी और ग्रीन जॉब्स
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भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम: 1.9 लाख रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स, 17 लाख नौकरियाँ और 118 यूनिकॉर्न्स।
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गिग इकॉनमी: भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 1 करोड़ (2024–25) से बढ़कर 2.35 करोड़ (2030) होने का अनुमान।
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Global Capability Centres (GCCs): भारत में 1,700 GCCs कार्यरत हैं, जो 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं — और 2030 तक यह संख्या दोगुनी होने की संभावना है।
🏗️ सरकार की प्रमुख रोजगार योजनाएँ
| योजना | उद्देश्य | परिणाम |
|---|---|---|
| PM Vishwakarma | कारीगरों और शिल्पकारों को सहयोग | 30 लाख+ पंजीकरण |
| ITI Upgradation Scheme | 1000 सरकारी ITIs को अपग्रेड करना | 20 लाख युवाओं को स्किलिंग |
| Rozgar Mela | युवाओं को निजी क्षेत्र में अवसर | 11 लाख से अधिक को नौकरी |
| PM Viksit Bharat Rojgar Yojana | 3.5 करोड़ नौकरियाँ सृजित करने का लक्ष्य | ₹99,446 करोड़ का बजट |
| MGNREGA | ग्रामीण रोजगार | ₹86,000 करोड़ आवंटन FY 2025–26 में |
🌏 निष्कर्ष: भारत का रोजगार मॉडल बनेगा दुनिया के लिए उदाहरण
भारत की अर्थव्यवस्था अब केवल GDP ग्रोथ नहीं बल्कि “जॉब-ड्रिवन ग्रोथ” पर आधारित है।
सरकार की स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, और रोजगार योजनाएँ मिलकर भारत को विश्व का सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता बना रही हैं।
आने वाले वर्षों में, डिजिटल स्किलिंग, ग्रीन एनर्जी सेक्टर और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भारत को ‘Viksit Bharat 2047’ के लक्ष्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
