नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2025:
कफ सिरप से जुड़ी हालिया त्रासदी पर देशभर के डॉक्टरों में गुस्सा उभर आया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने एक सख्त बयान जारी करते हुए कहा है कि इस मामले में डॉक्टरों को दोषी ठहराना “कानूनी अज्ञानता” (Legal Illiteracy) का उदाहरण है।
आईएमए ने अपने बयान में कहा कि “डॉक्टर दवा लिखते हैं, बनाते नहीं”, इसलिए यदि किसी सिरप में जहरीले रसायन मिले हैं, तो जिम्मेदारी दवा बनाने वाली कंपनियों और निगरानी एजेंसियों की बनती है, न कि चिकित्सकों की।
डॉक्टर की गिरफ्तारी पर आईएमए का विरोध
मध्यप्रदेश के परासिया थाने में दर्ज एफआईआर के तहत एक बाल रोग विशेषज्ञ (पेडियाट्रिशियन) और तमिलनाडु की श्रीसान फार्मास्यूटिकल्स के निदेशकों पर केस दर्ज किया गया है।
इन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या), 276 (दवा में मिलावट) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(ए) के तहत मामला दर्ज हुआ है।
आईएमए ने इस कार्रवाई को “जल्दबाजी और ध्यान भटकाने वाली कार्रवाई” बताया। संगठन ने कहा कि जांच एजेंसियां अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए डॉक्टरों पर कार्रवाई कर रही हैं, जबकि ड्रग्स रेगुलेटरी सिस्टम दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखने में विफल रहा है।
कैसे बन जाता है कफ सिरप जहर
आईएमए ने समझाया कि खांसी की दवाओं में इस्तेमाल होने वाला फार्मास्यूटिकल ग्रेड ग्लिसरीन और प्रोपलीन ग्लाइकोल महंगा होता है, जबकि कई निर्माता इसकी जगह औद्योगिक ग्रेड डीईजी (Diethylene Glycol) और ईजी (Ethylene Glycol) का इस्तेमाल कर लेते हैं — जो जहरीले और सस्ते विकल्प हैं।
इन रसायनों की मिलावट से दवा किडनी फेल्योर, लिवर डैमेज और मौत तक का कारण बन सकती है।
आईएमए ने कहा कि डॉक्टर के पास यह जांचने का कोई तरीका नहीं होता कि दवा असली है या मिलावटी, जब तक कि उसके दुष्प्रभाव मरीजों में दिख न जाएं।
जवाबदेही कंपनियों और नियामकों की
आईएमए ने यह भी स्पष्ट किया कि दवाओं की गुणवत्ता, सामग्री और सुरक्षा परीक्षण की जिम्मेदारी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) और राज्य ड्रग्स नियंत्रण विभागों की है।
एक बार दवा को बाजार में मंजूरी मिलने के बाद, पंजीकृत डॉक्टर उसे लिखने के लिए पूरी तरह अधिकृत होते हैं।
डॉक्टरों की संस्था ने कहा कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार कंपनियों और दवा नियामक एजेंसियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, न कि उन डॉक्टरों पर जिन्होंने मंजूरशुदा दवा मरीजों को दी।
“डॉक्टरों को डराना गलत है” — IMA
आईएमए ने चेतावनी दी कि डॉक्टर समुदाय को डराने या बलि का बकरा बनाने की कोशिशों का कड़ा विरोध किया जाएगा।
“यह त्रासदी डॉक्टरों की नहीं, सिस्टम की विफलता है। चिकित्सा पेशे को दबाने की कोशिशें स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खतरनाक संकेत हैं,” — IMA बयान।
🔹 मुख्य बिंदु (Key Highlights):
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डॉक्टरों ने कहा — असली दोषी कंपनियां और नियामक एजेंसियां हैं।
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डॉक्टर की गिरफ्तारी को IMA ने बताया — कानूनी अनभिज्ञता का उदाहरण।
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सिरप में DEG और EG मिलावट से बच्चों की मौत की आशंका।
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दवा नियंत्रण व्यवस्था में निगरानी की कमी, लैब और प्रशिक्षित स्टाफ की भारी कमी।
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IMA ने चेताया — डॉक्टरों को डराना बंद करें, असली दोषियों पर कार्रवाई करें।
