नई दिल्ली/जिनेवा।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को आईना दिखाया और तंज कसते हुए कहा कि दुनिया के सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में से एक दूसरों को उपदेश देने की कोशिश कर रहा है।
जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर के.एस. मोहम्मद हुसैन ने साफ शब्दों में कहा –
“यह विडंबना ही है कि जिनके अपने घर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ राज्य-प्रायोजित उत्पीड़न और भेदभाव हो रहा है, वही मंच का दुरुपयोग कर भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाने आते हैं।”
पाकिस्तान पर सीधा वार, नाम लिए बिना निशाना
हुसैन ने नाम लिए बिना पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत के खिलाफ बेबुनियाद प्रचार करने की यह आदत उनकी ढकी-छिपी पोल खोल देती है। उन्होंने जोड़ा कि यदि वास्तव में कुछ करना है तो पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने ही समाज में व्याप्त धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोके।
कश्मीर राग और भारत का जवाब
दरअसल, पाकिस्तान प्रतिनिधि ने एक बार फिर मंच पर कश्मीर का मुद्दा उछाला था। जवाब में भारत ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।
भारत का रुख: विकास और अधिकार
भारत ने दुनिया को यह संदेश भी दिया कि वह अपने नागरिकों को मानवाधिकारों का पूर्ण आनंद दिलाने और सतत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए लगातार काम कर रहा है।
साथ ही 1993 में अपनाई गई वियना घोषणा और कार्ययोजना (VDPA) के सिद्धांतों को सामूहिक रूप से अपनाने का आह्वान भी किया।
