अमेरिका में H-1B वीज़ा की लॉटरी 2024 में जिन आवेदकों को मंज़ूरी मिली, उनमें से 80% लेवल 1 और लेवल 2 कैटेगरी के कर्मचारी थे। ये वही कर्मचारी हैं जिन्हें या तो एंट्री-लेवल सैलरी मिलती है या फिर मध्यम स्तर का वेतन।
लेवल वाइज H-1B वीज़ा मंज़ूरी
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लेवल 1 (एंट्री-लेवल): 28% आवेदन स्वीकृत
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लेवल 2 (मिड-लेवल): 48% आवेदन स्वीकृत
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लेवल 3 (अनुभवी): 14% आवेदन स्वीकृत
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लेवल 4 (सीनियर/प्रबंधन स्तर): 6% आवेदन स्वीकृत
इससे साफ है कि भारतीय आईटी और टेक कंपनियां ज़्यादातर लेवल 2 कर्मचारियों पर निर्भर रहीं और उन्हें ऐसा वेतन दिया जो मीडियन सैलरी (औसत वेतन) से कम था।
इन भारतीयों का दबदबा
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पिछले 10 सालों में 70% से अधिक H-1B वीज़ा भारतीय आवेदकों को मिले।
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वर्तमान में अमेरिका में लगभग 7.3 लाख H-1B वीज़ा धारक और 5.5 लाख आश्रित रहते हैं।
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H-1B वीज़ा धारक और उनके जीवनसाथी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हर साल 86 अरब डॉलर का योगदान करते हैं और 24 अरब डॉलर टैक्स के रूप में देते हैं।
ट्रंप सरकार का बड़ा कदम
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19 सितंबर 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आदेश पर हस्ताक्षर किया।
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इसके तहत H-1B आवेदन फीस को बढ़ाकर $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया गया।
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ट्रंप का आरोप है कि विदेशी कर्मचारी, खासकर भारतीय, अमेरिकी लोगों की नौकरियां छीन रहे हैं।
क्यों ज़रूरी है H-1B?
H-1B वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को मौका देता है कि वे दुनिया भर से कुशल वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षकों और आईटी प्रोफेशनल्स को नियुक्त कर सकें। यह कार्यक्रम अमेरिकी बिज़नेस स्किल गैप को भरने के लिए अहम माना जाता है।
सारांश
2024 में H-1B वीजा लॉटरी में स्वीकृत 80% आवेदन एंट्री-लेवल और मिड-लेवल कर्मचारियों के थे, जिनमें भारतीय आईटी कंपनियों का दबदबा रहा. यह अमेरिकी कंपनियों को कुशल श्रमिकों की भर्ती करने की अनुमति देता है, लेकिन 2024 में ट्रंप ने H-1B आवेदन फीस को बढ़ाकर $100,000 कर दिया, जिसका उद्देश्य अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करना और उच्च-वेतन वाले कुशल कर्मचारियों को प्राथमिकता देना था. H-1B वीजा अमेरिका में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें भारतीय पेशेवर बड़ी संख्या में शामिल हैं, लेकिन नए नियमों से जूनियर लेवल के कर्मचारियों को वीज़ा मिलने में मुश्किलें बढ़ गई हैं.
