PoK Protest: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बवाल, अवामी एक्शन कमेटी के नेता ने कहा – ‘सरकार और सेना चुड़ैल बन गई है’

नई दिल्ली : पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। नागरिक विद्रोह और विरोध प्रदर्शनों के बीच अवामी एक्शन कमेटी (AAC) के वरिष्ठ नेता शौकत नवाज मीर ने पाकिस्तान सरकार और सेना पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने इस्लामाबाद और रावलपिंडी की तुलना उस चुड़ैल से की जो जनता की हत्या पर आमादा है।


“तथाकथित आज़ाद कश्मीर, असल में गुलाम है”

शौकत नवाज मीर ने अपने भाषण में कहा कि तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ बिल्कुल भी आज़ाद नहीं है। दशकों से यहां के लोग शोषण और दमन की जंजीरों में जकड़े हुए हैं। उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह उसी आबादी को कुचल रहा है, जिसका प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।


PoK Protest: क्यों भड़का गुस्सा?

  • यह विरोध दो साल पहले शुरू हुआ था, जब लोगों ने आटे और बिजली की नियमित व रियायती आपूर्ति की मांग उठाई थी।

  • लेकिन अब आंदोलन में नई मांगें जुड़ गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • कश्मीरी अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार खत्म करना

    • शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों का उन्मूलन

    • मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं

  • प्रदर्शनकारियों ने 38 सूत्री मांगपत्र सरकार को सौंपा है।


PoK में हिंसा: 12 नागरिकों की मौत, 200 से ज्यादा घायल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की।

  • इस फायरिंग में 12 आम नागरिकों की मौत हो गई।

  • 200 से ज्यादा लोग घायल हुए।

  • पाकिस्तानी रेंजर्स और इस्लामाबाद पुलिस की कार्रवाई में 3 पुलिसकर्मियों की मौत भी हुई और 9 घायल हुए।


AAC नेता का तीखा बयान

मीर ने कहा,

“हमारा संघर्ष किसी एक व्यक्ति से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से है। यह जनता का संघर्ष है। हम सब मिलकर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाएंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के शासक वही अत्याचार कर रहे हैं जिनका आरोप वे दूसरों पर लगाते हैं। उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनके हाथ कश्मीरियों के खून से सने हुए हैं।


अंतरराष्ट्रीय ध्यान क्यों जरूरी है?

  • पीओके में लगातार मानवाधिकार उल्लंघन और प्रेस की आवाज दबाने के आरोप लग रहे हैं।

  • प्रदर्शनकारियों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।

  • AAC ने साफ कर दिया है कि जब तक न्याय और बुनियादी अधिकार नहीं मिलते, आंदोलन जारी रहेगा।

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