नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2025 – अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर आ रहे हैं। यह पहली बार है जब अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद इतनी उच्च स्तरीय यात्रा हो रही है। मुत्ताकी की यह यात्रा सिर्फ अफगानिस्तान-भारत रिश्तों का नया अध्याय नहीं खोलेगी, बल्कि इसे पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका भी माना जा रहा है।
🔥 भारत-तालिबान पहली बड़ी मुलाकात
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मुत्ताकी को UN सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध में अस्थायी छूट दी गई है।
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वह 9 से 16 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे।
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भारत और तालिबान के बीच इससे पहले दुबई जैसे तटस्थ स्थानों पर कई दौर की गुप्त बातचीत हो चुकी है।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मई 2025 में मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की थी – 2021 के बाद यह पहला मंत्री-स्तरीय संपर्क था।
🤝 भारत-तालिबान नज़दीकी क्यों?
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अप्रैल में तालिबान ने कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी।
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भारत और तालिबान दोनों ने पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद पर एक जैसी सोच दिखाई।
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भारत लगातार अफगानिस्तान को गेहूं, दवाइयां, खाद्य सामग्री और राहत भेजता रहा है।
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सितंबर 2025 के विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले 1000 टेंट, 15 टन खाद्य आपूर्ति और 21 टन मेडिकल किट भेजी।
🇮🇳 पाकिस्तान को क्यों झटका?
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पाकिस्तान ने हाल ही में 80,000 अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने का फैसला लिया, जिससे तालिबान-PAK रिश्तों में तनाव बढ़ा।
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अब काबुल चाहता है कि वह अपनी विदेश नीति को विविध बनाए और पाकिस्तान पर निर्भरता घटाए।
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मुत्ताकी की भारत यात्रा को इसी बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
📌 भारत के लिए रणनीतिक महत्व
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अफगानिस्तान में भारत के दीर्घकालिक हित सुरक्षित होंगे।
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पाकिस्तान और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का मौका मिलेगा।
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आतंकी खतरों को रोकने और मानवीय सहायता को मज़बूत करने का अवसर।
⚡ अहम मोड़ – 10 अक्टूबर की बैठक
नई दिल्ली में होने वाली भारत-अफगान द्विपक्षीय बैठक (10 अक्टूबर) दक्षिण एशिया की राजनीति का नया रोडमैप तय कर सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक भारत को अफगानिस्तान में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करेगी और पाकिस्तान के लिए एक सख्त संदेश होगी।
