नई दिल्ली — विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आज दुनिया में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। उन्होंने यह चेतावनी दी कि व्यापार में टैरिफ अस्थिरता (tariff instability) पुराने समीकरणों को उलट रही है और एंटी-ग्लोबलाइजेशन (अंतरराष्ट्रीय व्यापार-विरोधी) भावना तीव्र होती जा रही है। जयशंकर ने यह बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अरावली समिट में कहीं।
वे बोले कि वैश्विक भू-राजनीति में गहरे परिवर्तन आ रहे हैं, जो आर्थिक और रणनीतिक नीतियों को भी प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की व्यापार नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और शुल्क “अनुचित” हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, अब विश्व का लगभग एक-तिहाई विनिर्माण एक ही देश — यानी अत्यधिक केंद्रित — में हो रहा है, जिससे सप्लाई चेन (आपूर्ति श्रृंखला) को भारी खतरा है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विक ऊर्जा व्यवस्था में बदलाव हो रहा है — अब अमेरिका फॉसिल फ्यूल (फॉसिल ईंधन) का बड़ा निर्यातक बन गया है, जबकि चीन नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) की ओर अग्रसर है। उन्होंने चेतावनी दी कि बिग टेक कंपनियों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) व डेटा नियंत्रण के मॉडल अब नई वैश्विक प्रतिस्पर्धा के केंद्र हैं। साथ ही, प्रतिबंध, संपत्तियों की जप्ती, क्रिप्टोकरेंसी इत्यादि ऐसे तत्व बन गए हैं जिन्होंने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को बदल दिया है।
जयशंकर ने आगाह किया कि इस नए युग में तकनीकी घुसपैठ और हेरफेर (manipulation) से राष्ट्रीय संप्रभुता भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि अब हर चीज हथियार बन गई है — चाहे वह सूचना हो, धन हो या तकनीक हो। उन्होंने कहा कि भारत को इस बदलते माहौल में अपनी रणनीतिक सोच और सक्रिय नीति अपनानी होगी।
