गौरव शुक्ला
दिल्ली, 23 अक्टूबर
दिल्ली की ज़हरीली हवा से जूझ रही राजधानी के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। आईआईटी कानपुर की टीम ने कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने की पूरी तैयारी कर ली है। अब बस आसमान में अनुकूल बादलों के आने का इंतज़ार है। जैसे ही मौसम सहयोग करेगा, आईआईटी कानपुर का विशेष सेसना विमान आसमान में उड़ान भरेगा और दिल्ली पर कृत्रिम बारिश की बौछार करेगा।
इस कृत्रिम वर्षा का उद्देश्य है — दिल्ली के प्रदूषण स्तर को घटाना और लोगों को स्वच्छ हवा की राहत देना।
बादलों के इंतजार में टीम आईआईटी कानपुर
आईआईटी कानपुर की वैज्ञानिक टीम पिछले कुछ दिनों से मौसम की परिस्थितियों पर लगातार नज़र रखे हुए है।
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, जो इस तकनीक के प्रमुख वैज्ञानिक हैं, ने बताया कि “जैसे ही पर्याप्त नमी और उपयुक्त बादल मिलते हैं, हम तुरंत कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया शुरू कर देंगे।”
आईआईटी कानपुर की टीम ने इससे पहले 2023 में कृत्रिम वर्षा का सफल प्रयोग किया था। उस प्रयोग की तैयारी में वैज्ञानिकों को छह साल से अधिक का समय लगा था। इस बार प्रयोग और भी सटीक और प्रभावी तरीके से किया जाएगा।
सेसना विमान और विशेष तकनीक तैयार
कृत्रिम वर्षा के लिए सेसना विमान में विशेष उपकरण लगाए गए हैं जो बादलों में सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) और अन्य रासायनिक तत्वों का छिड़काव करेंगे। ये रसायन बादलों में जलकण बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिससे बारिश होती है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुमति मिल चुकी है और दिल्ली सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट के लिए सहमति दे दी है। सभी तकनीकी और प्रशासनिक मंज़ूरियाँ पूरी हो चुकी हैं — अब बस आसमान में सही प्रकार के बादलों का इंतज़ार है।
क्यों है यह प्रयोग अहम?
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और स्मॉग की स्थिति हर साल चिंता का विषय बन जाती है। इस बार कृत्रिम वर्षा का प्रयोग वायु गुणवत्ता में सुधार लाने का एक नया प्रयास है।
यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो यह भारत के अन्य प्रदूषित शहरों — जैसे लखनऊ, मुंबई और पटना — के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकता है।
IIT कानपुर के निदेशक
“हमने सभी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह प्रोजेक्ट दिल्लीवासियों को प्रदूषण से राहत देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। हमें उम्मीद है कि जैसे ही मौसम साथ देगा, दिल्ली में कृत्रिम बारिश शुरू कर दी जाएगी।”
