नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की मध्यस्थता से हुए युद्धविराम समझौते के तहत हमास की कैद से सभी जीवित इज़राइली बंधकों की रिहाई का स्वागत किया है।
उन्होंने इसे “साहस, दृढ़ संकल्प और शांति प्रयासों की ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया।
मोदी ने दी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि —
“बंधकों की रिहाई उनके परिवारों के अदम्य साहस, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अटूट शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के दृढ़ संकल्प का परिणाम है। भारत क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के इन ईमानदार प्रयासों का समर्थन करता है।”
उन्होंने कहा कि यह रिहाई न केवल बंधकों के परिवारों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि यह राजनयिक संवाद और मानवता की शक्ति का भी प्रतीक है।
दो साल बाद मिली आज़ादी
जानकारी के अनुसार, हमास ने दो साल से अधिक समय तक बंधक बनाए गए इज़राइली नागरिकों को अंततः रिहा किया, जो अमेरिका की मध्यस्थता में हुए युद्धविराम समझौते का हिस्सा था। इस समझौते के तहत इज़राइल ने भी कई फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया, जिससे गाज़ा और इज़राइल के बीच तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत का रुख स्पष्ट
भारत ने हमेशा से शांति और स्थिरता के पक्ष में रहकर दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। इस बार भी भारत ने इस युद्धविराम को “सकारात्मक और आशाजनक” बताते हुए कहा है कि यह पश्चिम एशिया में स्थायी शांति की दिशा में नई शुरुआत हो सकती है।
पृष्ठभूमि
यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में हुए महीनों लंबे कूटनीतिक प्रयासों के बाद संभव हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत कर सकता है और आगे चलकर मानवाधिकार और मानवीय सहयोग के नए अध्याय खोल सकता है।
मुख्य बिंदु (Highlights):
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सभी जीवित इज़राइली बंधक रिहा किए गए।
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युद्धविराम समझौता अमेरिका की मध्यस्थता में हुआ।
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प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “साहस और शांति की जीत” कहा।
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भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के शांति प्रयासों का समर्थन किया।
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समझौते के तहत कुछ फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई भी हुई।
