बांग्लादेश में इस साल दुर्गा पूजा का पर्व भारी सुरक्षा घेरे में मनाया जा रहा है, लेकिन हिंदू समुदाय के बीच भय का माहौल अभी भी गहरा है। पिछले साल शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद देशभर में हिंदुओं पर कई हमलों ने लोगों के दिलों में असुरक्षा की गहरी छाप छोड़ दी थी। यही कारण है कि भले ही त्योहार की तैयारियां पूरी हों, पर श्रद्धालुओं के मन में अब भी डर और बेचैनी बनी हुई है।
दो लाख से ज्यादा सुरक्षा बल, फिर भी डर का साया
पूरे देश में दो लाख से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। ढाका के प्रसिद्ध ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर सहित 33,350 पूजा मंडपों पर अर्धसैनिक बल, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और लगभग 70,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एम. जहांगीर आलम चौधरी ने दावा किया कि सुरक्षा इंतज़ाम बेहद सख़्त हैं, लेकिन श्रद्धालु इस आशंका से घिरे हैं कि कहीं पिछले साल जैसी हिंसा दोबारा न भड़क उठे।
श्रद्धालुओं में दहशत और सतर्कता
ढोल, शंख और घंटियों की गूंज के बीच पूजा पंडालों में आई भीड़ के चेहरे पर उत्साह के साथ-साथ सतर्कता और भय साफ़ झलक रही है। बहुत से लोग दिन में जल्दी दर्शन कर लौट रहे हैं ताकि रात में किसी अनहोनी से बचा जा सके।
परिषद की अपील
बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद के अध्यक्ष बासुदेव धर ने सरकार के प्रयासों पर संतोष जताया, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि “हिंदू समुदाय पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो पाया है।” परिषद को अब तक 11 जगहों से छोटी-मोटी घटनाओं की सूचनाएं मिली हैं, जिन पर तुरंत कार्रवाई की गई।
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा इस बार केवल आस्था का नहीं, बल्कि जीवन और सुरक्षा का भी इम्तिहान बन गई है। सख़्त सुरक्षा इंतज़ामों के बावजूद हिंदू समुदाय का डर यह दिखाता है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा अभी भी देश के लिए बड़ी चुनौती है।
