संयुक्त राष्ट्र ने ईरान पर सख़्त प्रतिबंधों की वापसी की पुष्टि कर दी है। सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1737 के तहत पहले से प्रतिबंधित 43 व्यक्तियों और 78 संस्थाओं की सूची को दोबारा सक्रिय कर दिया गया है। यह कदम फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी द्वारा स्नैपबैक तंत्र के औपचारिक आह्वान के बाद उठाया गया, जिसके तहत 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) के उल्लंघन पर 30 दिनों के भीतर सभी पुराने प्रतिबंध फिर से लागू हो सकते हैं।
क्यों बढ़ा तनाव
- 2015 में हुई परमाणु संधि को बचाने की कोशिशें 19 सितंबर और पिछले शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नाकाम रहीं।
- इस्राइल और अमेरिका के हालिया हमलों के बाद ईरान ने अपने परमाणु निगरानी कार्य को रोक दिया है।
गंभीर नतीजों की आशंका
यह कदम न केवल ईरान की आर्थिक और राजनयिक स्थिति को और कठिन बना देगा, बल्कि मध्य पूर्व में अस्थिरता और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी गहरा असर डाल सकता है।
- बढ़ते तनाव के बीच ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने दोहराया कि उनका देश परमाणु हथियार नहीं बनाएगा, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि हालात तेजी से खतरनाक मोड़ ले सकते हैं।
संदेश साफ़ है
संयुक्त राष्ट्र के इस कदम को पूरी दुनिया के लिए सावधान रहने का संकेत माना जा रहा है। बढ़ते टकराव और प्रतिबंधों के चलते आने वाले दिनों में क्षेत्रीय संघर्ष, तेल की कीमतों में उथल-पुथल और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नए संकट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
समय रहते कूटनीतिक समाधान निकाले बिना हालात और गंभीर हो सकते हैं।
