सेना प्रमुख का कड़ा संदेश: “अगर पाकिस्तान अपनी जगह बचाना चाहता है तो राज्य-प्रायोजित आतंकवाद बंद करे” — ऑपरेशन सिंदूर-2.0 का अलर्ट

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर 2025: भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उसकी धरती पर राज्य-प्रायोजित आतंकवाद जारी रहा तो दिल्ली कोई संयम नहीं दिखाएगी और जवाबी कार्रवाई को तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अब पाकिस्तान को तय करना है कि वह भूगोल और इतिहास में अपनी जगह बनाए रखना चाहता है या नहीं।

अनूपगढ़ (राजस्थान) के एक सैन्य चौकी उद्घाटन के दौरान दिए गए अपने संबोधन में जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन “सिंदूर-1.0” के समय दिखाया गया संयम भविष्य में दोहराया नहीं जाएगा यदि पाकिस्तान ने आतंकवाद के ठिकानों और सप्लाई को बंद नहीं किया। उन्होंने जवानों को भी “तैयार रहने” का निर्देश दिया और संकेत दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर-2.0’ एक विकल्प के रूप में मौजूद है।

वायुसेना प्रमुख के दावे: मई में पाकिस्तान के विमान ढेर किए गए

सेना प्रमुख की इस चेतावनी से पहले, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने मीडिया से कहा था कि मई के दौरान चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी पक्ष के 4-5 लड़ाकू विमानों (F-16/JF-17 श्रेणी) को मार गिराया। एयर चीफ ने कहा कि ऑपरेशन में कई आतंकवादी छावनियाँ और अहम ठिकाने भी नष्ट किए गए।

वायु सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि आतंकवादी कैंप अब छिपने के तरीके बदल रहे हैं — छोटे व निर्गत संरचनाओं की ओर शिफ्ट कर रहे हैं — परन्तु भारतीय वायुसेना के पास इन्हें निशाना बनाने की क्षमता बनी हुई है।

क्या कहा जाना चाहिए — संदर्भ और निहितार्थ

  1. सार्वजनिक चेतावनी: सेना प्रमुख का इशारा स्पष्ट रूप से न केवल पाकिस्तान को बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी संदेश देता है कि भारत अब अधिक निर्णायक कार्रवाई के लिए तैयार है अगर सीमा पार से खतरे बनते रहे। ऑपरेशन सिंदूर के दावे: वायु सेना प्रमुख के दावे (4–5 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के नष्ट होने सहित) को कई समाचार एजेंसियों ने रिपोर्ट किया है; ये दावे सुरक्षा और कूटनीतिक दृष्टि से अहम साबित होते हैं और दोनों देशों के बीच तनाव के स्तर को रेखांकित करते हैं। क्षेत्रीय स्थिरता पर असर: उच्च स्तरीय सैन्य बयानबाज़ी अक्सर क्षेत्रीय कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सीमा-स्थित सुरक्षा उपायों पर प्रभाव डालती है — इसलिए सरकारों और मीडिया के लिए तथ्यों का सत्यापन और संयमित कवरेज जरूरी है।

ऐसी सख्त बयानबाज़ी के बाद कूटनीतिक चैनलों, सैन्य तैयारियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रियाओं पर नजरें टिक जाएँगी। दोनों तरफ के दावों और घटनाओं के औपचारिक पुष्टिकरण, तथा किसी भी संभावित सैन्य कार्रवाई के कानूनी-राजनैतिक परिणाम मीडिया और नीति-निर्माताओं के लिए निर्णायक होंगे।

 

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