लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हालात गर्म हैं। इसी बीच जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें “बलि का बकरा” बनाया जा रहा है।
“गिरफ्तारी से नहीं डरता” – वांगचुक
गुरुवार (25 सितंबर 2025) को वांगचुक ने साफ कहा कि वे पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तारी के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनका कहना है, “मुझे दो साल के लिए जेल में डालना चाहते हैं, तो डाल दें। लेकिन मुझे जेल में भेजना सरकार के लिए और बड़ी मुश्किलें खड़ी करेगा।”
“सच्चाई से ध्यान हटाने की कोशिश”
गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए वांगचुक के बयानों को जिम्मेदार बताया था। इस पर वांगचुक ने पलटवार करते हुए कहा कि यह असली समस्या से बचने के लिए “बलि का बकरा ढूंढ़ने की चाल” है। उन्होंने कहा, “यह कहना कि हिंसा मेरे या कांग्रेस के उकसावे से हुई, असल मुद्दों से भागने जैसा है।”
युवाओं की हताशा को ठहराया जिम्मेदार
वांगचुक ने हिंसा की जड़ में छह साल से जारी बेरोजगारी और केंद्र के अधूरे वादों को कारण बताया। उनका कहना है कि पांच साल की शांतिपूर्ण अपीलों के बाद भी लद्दाख को राज्य का दर्जा, आदिवासी दर्जा और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छठी अनुसूची की मांग पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
“हमें चतुराई नहीं, बुद्धिमत्ता चाहिए”
उन्होंने तीखे अंदाज में कहा, “वे चालाक हो सकते हैं, लेकिन बुद्धिमान नहीं। आज हमें चतुराई नहीं, असली समझदारी चाहिए, क्योंकि लद्दाख का युवा पहले से ही बेहद निराश है।”
निष्कर्ष
सोनम वांगचुक का यह बयान लद्दाख की उबलती नाराज़गी और गहरे असंतोष की ओर इशारा करता है। उनकी चेतावनी साफ है—गिरफ्तारी से हल नहीं, असली मुद्दों पर संवाद ही रास्ता है।
