नई दिल्ली – देश में बढ़ते “फर्जी” और “बोगस” राजनीतिक दलों पर अब सुप्रीम कोर्ट की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। शुक्रवार को कोर्ट ने एक अहम याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग, केंद्र सरकार और विधि आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिका में गंभीर आरोप
यह याचिका अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। उनका आरोप है कि देशभर में कई ऐसे कथित राजनीतिक दल सक्रिय हैं जो लोकतंत्र को चोट पहुंचा रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि कुछ “बोगस पार्टियां” आपराधिक तत्वों—जैसे ड्रग तस्कर, अपहरणकर्ता और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों—से मोटी रकम लेकर उन्हें राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारी तक बना रही हैं।
काले धन को सफेद करने का जरिया
याचिका के अनुसार हाल ही की एक जांच में आयकर विभाग ने खुलासा किया कि एक फर्जी पार्टी 20% कमीशन लेकर काले धन को सफेद कर रही थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि राजनीतिक दलों के लिए स्पष्ट नियम-कायदे नहीं होने के कारण कई लोग चंदा जुटाने और निजी फायदे के लिए दल बनाकर पुलिस सुरक्षा तक हासिल कर लेते हैं।
कोर्ट का रुख
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और राजनीतिक दलों में पारदर्शिता व उत्तरदायित्व के लिए कड़े नियम जरूरी हैं। कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर अब तक इस दिशा में ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
सुप्रीम कोर्ट की यह पहल आने वाले समय में राजनीति की सूरत बदल सकती है, क्योंकि अगर सख्त नियम बने तो फर्जी दलों के जरिए काले धन को सफेद करने का खेल खत्म होने की संभावना है।
