नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि “ज्ञान भारतम मिशन” भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना की आवाज़ बनने के लिए तैयार है। राजधानी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है—लगभग एक करोड़ अनमोल पांडुलिपियाँ, जो हमारे पूर्वजों के ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा के अद्भुत समर्पण की गवाही देती हैं।
अतीत की धरोहर, भविष्य की प्रेरणा
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में लाखों पांडुलिपियाँ नष्ट हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे भारत की विचारधारा और मूल्यों का जीवंत प्रमाण हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत केवल भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि विचारों और आदर्शों से बहती एक जीवंत धारा है।
शोध और नवाचार का नया दौर
मोदी ने बताया कि ज्ञान भारतम मिशन न केवल अतीत को सहेजने का प्रयास है, बल्कि नए शोध और नवाचारों को भी उजागर कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योग लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर के हैं और डिजिटल पांडुलिपियाँ इस क्षेत्र के लिए विशाल डेटा बैंक बन सकती हैं।
युवाओं से जुड़ने का आह्वान
प्रधानमंत्री ने युवाओं को संदेश दिया:
“तकनीक की मदद से अतीत की खोज करें और इस अनमोल ज्ञान को पूरी मानवता के लिए सुलभ बनाएं।”
ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ज्ञान भारतम पोर्टल लॉन्च किया—एक समर्पित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुँच को गति देगा।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की खास बातें
- तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय: “पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना”
- प्रमुख विद्वान, संरक्षण विशेषज्ञ, प्रौद्योगिकीविद और नीति निर्माता एक साथ जुटे।
- दुर्लभ पांडुलिपियों की विशेष प्रदर्शनी, और संरक्षण, डिजिटलीकरण तकनीक, मेटाडेटा मानक, कानूनी ढाँचे और सांस्कृतिक कूटनीति पर गहन चर्चाएँ।
