लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हालिया प्रदर्शन और हिंसा पर नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को साफ संदेश दिया है—“दमन से हालात नहीं संभलेंगे, बातचीत ही समाधान है।”
सोनम वांगचुक पर उठे सवालों का जवाब
फारूक अब्दुल्ला ने स्पष्ट कहा कि इस हिंसा के लिए एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “वांगचुक हमेशा गांधीवादी राह पर चले हैं, लेकिन युवाओं में गुस्सा है और वे अब अलग दिशा में बढ़ रहे हैं।”
“जितना दमन, उतना खतरा”
तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि जितना ज्यादा बल का इस्तेमाल होगा, हालात उतने बिगड़ेंगे। उनका कहना है कि लद्दाख में बढ़ती अशांति की वजह केंद्र के अधूरे वादे हैं, जो अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के बाद किए गए थे।
चीन का जिक्र और केंद्र को सलाह
फारूक अब्दुल्ला ने लद्दाख की संवेदनशीलता पर जोर देते हुए कहा कि “चीन अब तक मैकमोहन रेखा को नहीं मानता”, इसलिए यह इलाका बेहद नाजुक है। उन्होंने केंद्र से अपील की कि “लोगों का मुंह बंद करने के बजाय उनकी असली समस्याओं का हल निकाला जाए और संवाद से समाधान खोजा जाए।”
निष्कर्ष
फारूक अब्दुल्ला का संदेश साफ है—बल प्रयोग नहीं, बातचीत और भरोसा ही शांति का असली रास्ता है। लद्दाख की जनता की उम्मीदों को समझे बिना वहां स्थिरता संभव नहीं है।
