दुनिया की राजनीति में एक ज़बरदस्त मोड़ आया है—ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने एक साथ इतिहास रचते हुए फ़िलिस्तीन राज्य को औपचारिक मान्यता दे दी है।
🇬🇧 ब्रिटेन की ऐतिहासिक घोषणा
लंदन से आया यह ऐलान जैसे पूरी दुनिया में गूंज उठा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने वीडियो संदेश में घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम “शांति और द्वि-राज्य समाधान की नई उम्मीद जगाने वाला” है। उनके शब्दों ने मानो अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई हलचल पैदा कर दी।
🇨🇦 कनाडा का पहला प्रहार
दिन की शुरुआत में ही कनाडा ने दुनिया को चौंका दिया। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने फ़िलिस्तीन को मान्यता देकर G7 देशों में पहला कदम बढ़ाने वाला देश बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा कि कनाडा इज़राइल और फ़िलिस्तीन, दोनों के लिए शांतिपूर्ण भविष्य बनाने में अपना सक्रिय योगदान देगा। कनाडाई अधिकारियों ने साफ किया कि फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा हिंसा का त्याग इस निर्णायक फैसले की बुनियाद है।
🇦🇺 ऑस्ट्रेलिया का त्वरित समर्थन
कुछ ही घंटों में ऑस्ट्रेलिया भी पीछे नहीं रहा। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ और विदेश मंत्री पेनी वोंग ने संयुक्त बयान में फ़िलिस्तीन को “स्वतंत्र और संप्रभु” राज्य घोषित करते हुए कहा कि यह कदम गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई से शुरू होने वाली शांति-लहर को गति देगा।
🌐 दुनिया में बढ़ती लहर
अब निगाहें संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले सत्र पर टिकी हैं, जहाँ फ्रांस और बेल्जियम जैसे देश भी इस लहर में शामिल हो सकते हैं। भले ही यह मान्यता प्रतीकात्मक मानी जा रही हो, लेकिन इसका संदेश स्पष्ट है—चरमपंथ को अकेला करो और शांति की राह पर चलने वाले नेताओं को सशक्त बनाओ।
यह घटनाक्रम सिर्फ़ एक कूटनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के इतिहास में दर्ज होने वाला भूचाल है, जिसकी गूंज आने वाले वर्षों तक महसूस की जाएगी।
