भारत के लिए गर्व का क्षण तब आया जब शीतल देवी ने दक्षिण कोरिया के ग्वांग्जू में आयोजित विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। महिलाओं की कंपाउंड व्यक्तिगत स्पर्धा में शीतल ने तुर्किये की विश्व नंबर-1 पैरा तीरंदाज ओजनूर क्यूर गिर्डी को हराकर यह असाधारण उपलब्धि हासिल की।
अदम्य साहस की मिसाल
शीतल इस प्रतियोगिता में एकमात्र बिना बाजू वाली पैरा तीरंदाज हैं। वह अपने पैरों और ठुड्डी की मदद से तीर चलाती हैं—यह उनके अद्भुत साहस और अटूट संकल्प की कहानी कहता है। उनके प्रदर्शन ने न केवल खेल जगत को प्रेरित किया, बल्कि भारत के तिरंगे को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
पदकों की शानदार झड़ी
यह स्वर्ण पदक शीतल का इस चैंपियनशिप में तीसरा पदक है। इससे पहले उन्होंने सरिता के साथ कंपाउंड महिला ओपन टीम स्पर्धा में रजत और तोमन कुमार के साथ कंपाउंड मिक्स्ड टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर अपने हुनर का लोहा मनवाया।
देश का गौरव
शीतल देवी की यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का क्षण है। उनके संघर्ष और जीत ने यह संदेश दिया कि हौसला और मेहनत से कोई भी बाधा असंभव नहीं। पूरे देश को उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व है।
