जयपुर: रविवार देर रात सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर की आईसीयू में आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार आग का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हादसे के समय ट्रॉमा आईसीयू में 11 मरीज भर्ती थे, जबकि पास के सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे। धुएँ के तेजी से फैलने से स्थिति गंभीर हुई और अफरा-तफरी मच गई।
कब और कैसे हुआ हादसा
-
समय: रविवार रात लगभग 11:10 बजे
-
स्थान: SMS अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल—ट्रॉमा आईसीयू
-
संभावित कारण: शॉर्ट सर्किट, जिससे आग और जहरीला धुआँ तेजी से फैला
अस्पताल प्रशासन का पक्ष
ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ के अनुसार, टीम ने नर्सिंग स्टाफ और वार्ड बॉय की मदद से मरीजों को ट्रॉली/स्ट्रेचर पर निकालकर दूसरे वार्डों में शिफ्ट किया। कई मरीज बेहोशी/क्रिटिकल अवस्था में थे, जिनमें से 6 मरीज बेहद गंभीर बताए गए।
परिजनों के आरोप
कई परिजनों का आरोप है कि धुआँ फैलते ही डॉक्टर और कंपाउंडर मौके से हट गए, जिसकी वजह से शुरुआती कुछ मिनटों में रेस्क्यू में देरी हुई। परिजनों का कहना है कि कुछ मरीजों को समय पर बाहर नहीं निकाला जा सका।
सरकार/प्रशासन की कार्रवाई
-
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के निर्देश दिए।
-
एक स्वतंत्र जांच समिति गठित की जा रही है, जो आग के कारण, फायर/अलार्म सिस्टम, निकासी व्यवस्था, ऑक्सीजन लाइन प्रोटोकॉल, SOP अनुपालन जैसे बिंदुओं की समीक्षा करेगी।
-
एफएसएल और फायर विभाग तकनीकी जांच कर रहे हैं; अस्पताल ने सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और त्वरित सुधार का भरोसा दिया है।
बड़े सवाल (जांच में फोकस)
-
क्या फायर अलार्म/डिटेक्शन और स्प्रिंकलर सही से काम कर रहे थे?
-
ऑक्सीजन लाइन/इलेक्ट्रिकल पैनल की सेफ्टी-ऑडिट कब हुई थी?
-
क्या ICU स्टाफ के लिए मॉक ड्रिल/इवैक्यूएशन SOP का पालन हुआ?
-
शुरुआती मिनटों में मानव-बल और उपकरण पर्याप्त थे या नहीं?
