नई दिल्ली / सहारनपुर, 10 अक्टूबर 2025:
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत दौरे पर हैं। अपने इस दौरे के दौरान वे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित दारुल उलूम देवबंद पहुंचे, जिसे इस्लामी शिक्षा का वैश्विक केंद्र माना जाता है। उनके इस दौरे ने न सिर्फ भारत बल्कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है।
देवबंद दौरे पर मुत्ताकी का बयान
जब पत्रकारों ने मुत्ताकी से देवबंद जाने की वजह पूछी, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा —
“देवबंद जब कोई जाता है तो क्या करता है? नमाज पढ़ता है, इस्लामी नेताओं से मिलता है। देवबंद इस्लाम का एक तारीख मरकज है, इसका इतिहास है। हम वहां के बुजुर्गों और उलेमाओं से मुलाकात करने आए हैं।”
मुत्ताकी ने आगे कहा कि देवबंद के उलेमा और अफगानिस्तान के उलेमाओं के बीच बहुत पुराने रिश्ते हैं, और अफगानिस्तान में भी देवबंद मसलक को मानने वाले बड़ी संख्या में लोग हैं।
“देवबंद को हम एक रूहानी मरकज मानते हैं। हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान और भारत के बीच इस्लामी और शैक्षणिक संबंध और मजबूत हों।”
दारुल उलूम देवबंद का इतिहास और अफगान तालिबान से संबंध
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में हुई थी, और इसे इस्लामी शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
1947 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में इसी विचारधारा से प्रेरित होकर दारुल उलूम हक्कानिया की स्थापना की गई थी।
इसके संस्थापक मौलाना अब्दुल हक, देवबंद के पूर्व छात्र थे। इसी हक्कानिया मदरसे से कई अफगान तालिबान नेताओं ने शिक्षा प्राप्त की, जिनमें तालिबान के संस्थापक सदस्य भी शामिल हैं।
इसलिए देवबंद और तालिबान के बीच एक वैचारिक संबंध (Ideological Link) माना जाता है, भले ही संस्थागत रूप से दोनों स्वतंत्र हैं।
भारत दौरे के राजनीतिक निहितार्थ
मुत्ताकी का यह दौरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनयिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तालिबान की भारत के प्रति सकारात्मक पहल है — जो पाकिस्तान से दूरी बनाते हुए भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश का संकेत देती है।
इसे “धार्मिक कूटनीति (Religious Diplomacy)” का हिस्सा माना जा रहा है, जहाँ तालिबान अब कट्टरपंथ की बजाय शिक्षा, शांति और क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में संदेश देना चाहता है।
पाकिस्तान पर बयान
पाकिस्तान के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुत्ताकी ने कहा —
“हम किसी भी देश के खिलाफ किसी गतिविधि को पनाह देने के पक्ष में नहीं हैं। जो ऐसे आरोप लगाते हैं, उनसे पूछो कि सबूत कहाँ है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की भूमि किसी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी, क्योंकि “वहाँ अब एक मजबूत सरकार है”।
देवबंद दौरे की अहमियत
मुत्ताकी का यह दौरा भारत-अफगानिस्तान संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है।
देवबंद का यह दौरा केवल एक धार्मिक मुलाकात नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और कूटनीतिक पुल के रूप में देखा जा रहा है।
यह संकेत देता है कि तालिबान की नई पीढ़ी अब शिक्षा, संवाद और शांति की ओर झुकाव दिखा रही है।
मुख्य बिंदु (Highlights):
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तालिबान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर।
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सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद में धार्मिक नेताओं से मुलाकात।
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देवबंद और अफगान उलेमाओं के बीच ऐतिहासिक संबंधों का हवाला।
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पाकिस्तान से दूरी और भारत से संवाद की नई पहल।
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दौरे को धार्मिक कूटनीति और सॉफ्ट डिप्लोमेसी का हिस्सा माना जा रहा है।
