प्योंगयांग: उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने महिलाओं के लिए एक और सख्त फरमान जारी किया है। इस बार निशाने पर हैं वे महिलाएं जो अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए ब्रेस्ट इम्प्लांट या कॉस्मेटिक सर्जरी करवाती हैं।
सरकार ने ऐसे मामलों को “पूंजीवादी और असामाजिकवादी प्रवृत्ति” बताते हुए इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। किम जोंग उन शासन ने स्पष्ट किया है कि जो महिलाएं या डॉक्टर इस तरह की सर्जरी में शामिल पाए गए, उन्हें श्रमिक शिविरों (Labor Camps) में भेजा जा सकता है।
💉 क्या है पूरा मामला
सितंबर 2025 में सरीवोन शहर में एक सार्वजनिक मुकदमे के दौरान, एक निजी डॉक्टर और दो युवा महिलाओं को अदालत में पेश किया गया।
इन पर अवैध ब्रेस्ट इम्प्लांट सर्जरी करने और करवाने का आरोप था। अदालत में सिलिकॉन, सर्जिकल उपकरण और नकद राशि जैसे सामान को सबूत के रूप में पेश किया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये महिलाएं अपनी शारीरिक बनावट सुधारने के लिए यह सर्जरी करवाना चाहती थीं, लेकिन सरकार ने इसे “पश्चिमी और पूंजीवादी प्रभाव” का प्रतीक करार दिया।
🚨 गुप्त जांच और सख्त सजा
जुलाई से सितंबर 2025 के बीच उत्तर कोरिया में एक आपातकालीन अभियान चलाया गया।
इस दौरान सीक्रेट एजेंटों और पड़ोस निगरानी दलों को महिलाओं पर नज़र रखने और संदिग्धों की पहचान करने का निर्देश दिया गया।
जिन महिलाओं पर सर्जरी कराने का शक था, उन्हें सरकारी स्वास्थ्य टीमों के जरिए शारीरिक जांच के लिए बुलाया गया।
सरकार ने चेतावनी दी है कि इस तरह की “सौंदर्य सर्जरी” करवाने वाली महिलाओं और उन्हें करने वाले डॉक्टरों को कड़ी सजा, यहाँ तक कि श्रमिक शिविरों में भेजने तक की कार्रवाई हो सकती है।
🧕 कैसी है जनता की प्रतिक्रिया
देश में इस फरमान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि यह कदम डॉक्टरों और युवतियों पर अत्याचार है, जबकि अन्य इसे “कोरियाई समाज की संस्कृति की रक्षा” के लिए सही ठहराते हैं।
सरकार का दावा है कि युवाओं में आईलिड सर्जरी, ब्रेस्ट इम्प्लांट, और टैटू जैसी पश्चिमी आदतें “पूंजीवादी मानसिकता” का प्रसार कर रही हैं, जिन्हें रोकना आवश्यक है।
🔥 फरमान का असर
इस नए आदेश के बाद उत्तर कोरिया में महिलाओं पर सौंदर्य सर्जरी की निगरानी और बढ़ा दी गई है।
स्थानीय क्लिनिकों पर भी स्वास्थ्य विभाग की टीमों का निरीक्षण शुरू हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फरमान किम जोंग उन की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे “पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से मुक्त समाज” बनाना चाहते हैं।
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