राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नए ऐलान ने वैश्विक सिनेमा जगत की जड़ों को हिला दिया है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है—
“अमेरिका के बाहर बनने वाली हर फिल्म को अब 100 प्रतिशत शुल्क देना होगा।”
यह सिर्फ़ एक कर नीति नहीं है, बल्कि विदेशी फिल्म उद्योग के लिए एक खुली धमकी है।
जो स्टूडियो अब तक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों और विदेशी बॉक्स ऑफिस से अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खींच रहे थे, उनके सामने अब अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
- अनिश्चितता का माहौल: किसी को नहीं पता यह फैसला किन देशों पर लागू होगा और कब से प्रभावी होगा। लेकिन उद्योग जगत जानता है कि यह तलवार किसी भी वक्त गिर सकती है।
- सांस्कृतिक घेराबंदी: ट्रम्प ने संरक्षणवादी नीतियों की दीवार अब सांस्कृतिक उद्योग तक खड़ी कर दी है। यह दीवार विदेशी फिल्मों के रास्ते में काँटेदार बाधा बन सकती है।
- निवेश पर खतरा: बड़े फिल्म स्टूडियो, जिन्होंने अरबों डॉलर विदेशी सह-निर्माण और वितरण में लगा रखे हैं, अब गहरी चिंता में हैं।
ट्रम्प का यह फैसला महज़ ‘व्यापार नीति’ नहीं बल्कि वैश्विक फिल्म उद्योग के लिए एक खतरनाक मोड़ है।
विदेशी फिल्मों के लिए अमेरिकी बाज़ार की सबसे बड़ी चुनौती अब सिर्फ़ दर्शकों का स्वाद नहीं, बल्कि ट्रम्प का लगाया हुआ यह भारी-भरकम शुल्क होगा।
यह ऐलान विदेशी सिनेमा के लिए एक स्पष्ट संदेश है—
“या तो भारी कीमत चुकाओ… या फिर अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाओ।”
